H S Patel, the man who is at the centre of attention of lakhs of depositors of the beleaguered Adarsh Credit Co-operative has talked to Indian Cooperative explaining the challenges being faced by him in doing justice to the job on hand-that is an amicable resolution of the dispute of Adarsh Credit Cooperative Society.
Because of account freezes and properties attached by several probe agencies, H S Patel, IAS (Retd.), who had been appointed as the liquidator in the beleaguered Adarsh Credit Cooperative Society finds himself helpless to pay back the money of gullible investors.
In a telephonic communication with Indian Cooperative correspondent Patel said, “I find difficulty in winding up of fraudulent Adarsh Credit Co-operative because Enforcement Directorate and other probe agencies have attached properties and frozen accounts of the society. Due to this I am unable to sell/auction properties to pay back the money of investors”, he added.
“Three months back I had written a letter to the concerned authorities including Central Registrar, Secretary of Ministry of Corporate affairs and others for releasing the attached properties but I am still waiting for the response from the authorities”, Patel said.
He further said when the government of India releases the attached properties only then can I act. Nothing can be done prior to this as I am helpless.
Earlier, in an interview given to one of the leading Hindi Daily newspapers, Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar claimed that the liquidator is appointed and he is doing his work according to the rules and regulations. However, the reality on the ground is just the opposite: the liquidator finds himself helpless about paying back the money of investors.
It bears recall that last year in October, ED had attached the properties worth Rs 1,489 crore of Adarsh Credit Co-op Society.
Meanwhile, helpless depositors urged the central government to remove the liquidator and appoint a regulator to take care of the credit cooperative. They have also demanded an immediate relief package of Rs 5k crore.
Due to their mismanagement, gullible investors are forced to run from pillar to post to get back their hard-earned savings. They have also met Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar and have also submitted a memorandum at PMO.
Beginning in Sirohi in Rajasthan, Adarsh Credit branched off to Haryana and Gujarat with its headquarters in Ahmedabad. More than seventy percent of investors are said to belong to Rajasthan.
Twenty lakh people invested Rs 14,682 crore over 8 years in Adarsh credit society.
फास्ट न्यूज़ इंडिया) 16 अक्टूबर 2019 (डॉक्टर दास)
राज्य सरकारे तथा केंद्रीय सरकार ने सम्पूर्ण देश में क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी के एक जाल सा बना दिया. इसी कड़ी में आदर्श क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी करीबन २० वर्ष से लोगों को अच्छा खासा ब्याज तथा रोजगार दे रही थी. करीबन २० लाख लोगों को १६ प्रतिशत की दर से लाभांश दिया,. पुरे देश में इसके ८०० के ऊपर शाखाये सफलता पूर्वक कार्य कर रही थी. संस्था ने करीबन ५ लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराया. करीबन ४००० लोगों को सीधी नौकरी दी. आज संस्था के करीबन २१ लाख सदस्य पुरे भारतवर्ष में फैले हुए है. परन्तु किसकी नजर लग गई जो १३ जून २०१८ को संस्था के खिलाप उलटे सीधे न्यूज़ चलाई गई. उसके बाद लोगों में समयपूर्व भुगतान लेने की होड़ लग गई. करोडो रुपये संस्था के रिज़र्व फण्ड में थे, जो ख़त्म हो गए. उसके बाद इनकम टैक्स का छापा, सीरियस इन्वेस्टीगेशन टीम, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, एन्फोर्समेंट डायरेक्टरी, लिक्वीडेटर, सभी को संस्था के पीछे लगा दिया. संस्था की सारी सम्पति जप्त कर ली गई, बैंक खाते सीज किये गए, यहाँ तक कि संस्था ने जिन्हें लोन दिए उसके वसूली पर भी रोक लगाई गई. संस्था के करीबन १६ लोगों को कई महीनो से जेल में डाल दिया गया. ऐसे में संस्था लोगों को भुगतान नहीं कर पा रही, तो अलग अलग राज्यों में एफ.आई.आर. दर्ज करा दी गई. सरकार किसी आतंकवादी, नक्षलवादी, विदेशी हमलावरों को इतनी प्रताड़ित नहीं करती जितनी संस्था पर कर रही है. संस्था अधक्ष्य श्री मुकेश मोदीजी लोगों को पैसे देनेकी तैयारी दिखाई पर उन्हें देने नहीं दिया जा रहा है. यह बात तो ऐसी हो गई कि नाक, मुह दबाओ, गला भी दबाओ और श्वास लेने को कहा जाए. सरकार कार्यवाही करे , कानून का उल्लघन हुआ तो क़ानूनी कार्यवाही करे पर यह तरीका गलत है. व्यवस्थापन के लोगों को छोड़ दिया जाए, उन्हें काम करने दिया जाए., अगर ६ महीने के सशर्त जमानत देकर तथा लोनी कंपनियों के देनदारी वसूल करने में जाँच एजेंसिया सहयोग करे तो केवल ६ महीने में स्थिति सुधर सकती है. करोडो रुपये जो इन्होने दुसरो को लोन दिया है उसपर रोक लगाना एक खतरनाक स्थिति को जन्म देगी. क्यौकी यह जनता का पैसा है, वे लोग यही चाहते है कि संस्था डूब जाए और इन्हें करोडो रुपये का लोन चुकाना न पड़े. जाँच एजेंसियो को इस से बचना होगा. लोन के इ.एम.आई वसूलनी होगी, जिनकी परिपक्वता हो चुकी है, ऐसे लोगों का भुगतान जरुरी है, अन्यथा और कीमती जिन्दगिया मौत को गले लगाएगी. जाँच चले, सरकारी प्रतिनिधि इनके कार्यो की देखरेख करे,. संस्था के पास १० हजार करोड़ से ज्यादा की सम्मत्ति है, पर उन्हें काम तो करने दिया जाए. बुढ़ापे में हर महीने निश्चित रकम मिले इसके लिए जिन्दगी भर की कमाई संस्था में जमा किये, अब इन लोगों ने आत्महत्या जैसी कदम उठा ली है. किसी को दिल का दौरा पड़ चूका है. किसी की शादी टूट गई, किसी की उच्च शिक्षा रुक गई, इलाज के बिना किसी की जान चली गई. करीबन ४००० लोगों को पगार नहीं मिलने से भूखे मर रहे है. करीबन ५ लाख अभिकर्ताओ के परिवारो को भूखा मारा जा रहा है. निर्दोष कर्मचारी को सताया जा रहा है. सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे सकती पर जाँच के नाम पर २१ लाख लोगों को बेरोजगार करना, एक करोड़ लोगों को भुखमरी से मरने के लिए छोड़ना उचित नहीं. सभी राजनितिज्ञ को इस जनहित के मुद्दे पर पीड़ित सदस्य को शीघ्र भुगतान कराये, अन्यथा इस लचर कानून और धीमी जाँच ओर लोगों की बलि ले लेगी. देर से न्याय भी अन्याय है. कृपया इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करके राजस्थान तथा केंद्र सरकार तक पहुचाये. डॉ दास,( गुरुलाल सिंह वारोला की रिपोर्ट cont mob no 9914556978)
Honourable liqiudator May file petion on behalf of investors in adarsh to the SUPREME COURT against agencies and ED that siezzed assets is belong to the investors
I am a adviser of Sarah cooperative society and I am also invest money in Sarah credit cooperative society