Preparing ground for the address of the Prime Minister on Tuesday Union Minister Radha Mohan Singh said the Government is keen to make agriculture policies ‘income centric’ instead of ‘production-oriented’ for farmers of the country.
Titled ‘’Agriculture 2022 – Doubling Farmers’ Income’’ the conference is being held at the NASC Complex at Pusa in New Delhi. It is being organized at the behest of the Prime Minister who is scheduled to address it today on Tuesday.
The inaugural session of the summit was attended by the Governor of Himachal Pradesh Shri Acharya Devvrat; NITI Aayog Vice Chairman Rajiv Kumar; Union Minister of States Parshottam Rupala; Gajendra Singh Shekhawat; Smt. Krishna Raj; and Shri S.K. Pattanayak, Secretary, Department of Agriculture, among others.
Speaking on the occasion Radha Mohan Sing said Government had started forming a committee in April 2016 to implement a comprehensive plan to double the income of farmers. The Committee included senior economists, Joint Secretaries of food processing, crop, Animal Husbandry and Dairy and Policy Departments; Agricultural Advisor to NITI Aayog and many other non-official members.
Another concept mooted by him on the occasion was ‘Climate Smart Agriculture’ through a national-level project under which farmers are being made aware and capable of adopting climate-friendly farming techniques.
Singh also mentioned Seven-Point’ Strategy devised for doubling farmers’ income. It included emphasis on irrigation, Provision of quality seeds and nutrients, Large investments in warehouses and cold chains, Promotion of value addition through food processing, implementation of National Agricultural Markets and e-platforms (e-NAM), introduction of crop insurance and Promotion of allied activities such as Dairy-Animal husbandry, Poultry, Bee-keeping, Horticulture, and Fisheries.
He also mentioned about agri-haats and developing ‘Climate Smart Agriculture’ through a national-level project under which farmers are being made aware and capable of adopting climate-friendly farming techniques.
परम आदरणीय प्रधानमंत्री
श्रीनरेंद्रभाईमोदीसाहेब,
भारत सरकार नई दिल्ली,
विषयः- आपकी महत्वाकांक्षी योजना-किसानों की आय को वर्ष2022 तक दोगुना करना (तथा भारत की ग्रामीण जनता को आर्थिक समृद्धि दिलाकर राष्ट्र का समग्र विकास सुनिश्चित करना)।
माननीय यशस्वी प्रधानमंत्रीजी
उपरोक्त विषय में आपके समक्ष मेरे अपने मनमस्तिष्क में ग्रामीण भारत के विकास के लिये कई वर्षों से संजोये गये सपनों और उनको साकार करने हेतु मेरी अपनी कुछ धारणाओं का खुलासा करना चाहता हूं और सोचता हूं कि शायद आपको अच्छी लगें, आप इसे कुछ इस रुप में लेवें जैसा सेतुबंध के समय श्रीराम नें नन्ही गिलहरी के प्रयासों को लिया था ।
आपके उपरोक्त एलान के पश्चात केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न महकमों के साथ ही देशभर में अनेकों NGO’s इस कार्य को पूरा करने के लिये अपने-अपने तरीकों से समुद्र मंथन में लगे हुए है, कई तरह की कमिटीयां गठीत हो चूकी है, कई सेमीनार हो चूके हैं जिनमें बडे-बडे आला अधिकारी रोजाना अपने समूह फोटो अपनी साईटों पर डाल रहे हैं । उक्त सभी विभाग मिल कर योजनाएं तो कई बना लेंगे जो देखने सुनने में आकर्षक लग सकती हैं किन्तू उनका क्रियान्वयन और समयबद्ध तरीके से पूरा हो पाना क्या वास्तव में संभव हैं क्योंकि हमारा राष्ट्र बहुत बडा है, लाखों गांव है, और करोडों कृषक परिवार हैं जिनकी आय को हमें सही मायनों में दुगूना करना है, किन्तु क्रियान्वयन करने वाली एजेंसिया इतनी अधिक है मानों अनेकों सिर-पैर-भुजाओं और अनेंको दिशाओं में एक साथ चलनें के प्रयत्न करने वाला एक महाकाय उपक्रम जो एक ही सुनिश्चित दिशा में बढने के निष्फल प्रयत्न कर रहा हो ।
इस बार भी ऐसा ही कुछ हो रहा है, जैसा पिछले 70 वर्षों से होता आया है, ग्रामीण विकास की सेना में हजारों-लाखों योद्धा मौजूद हैं, किन्तु ना तो रामजी को हनुमान की याद आ रही है, और ना हनुमान अपनी ताकत पहचान पा रहा है ।
सर मेरा ईशारा स्वयं भारत सरकार द्वारा कानून बना कर महात्मा गांधी की पुण्य तिथि 02अक्टूबर1975 को गठित किये गये क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की ओर है जिसे “दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाएं देना, कमजोर वर्गों को साहूकारों के जाल से बाहर निकाल कर आर्थिक समृद्धि दिलाना, ग्रामीण बचतें जुटाकर उत्पादक गतिविधियों में लगाना ” जैसे पवित्र उद्देश्य को लेकर गठित किया गया था ।
सर आपने बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक की Success Story तो सुनी होगी कि कैसे इस बैंक ने महिलाओं के छोटे-छोटे समूह बनाकर वित्तिय-समावेशन को साकार किया था । हमारे देश की बडी कमजोरी है कि हम विदेशी चकाचौंध से जल्दी सम्मोहित हो जाते हैं, और उसकी नकल करके वही प्रयोग हमारे यहां भी करने की कोशिश करने लग जाते हैं, किन्तु हमारी स्वयं की क्षमताओं की पहचान, उनका संवर्धन और राष्ट्रहित में उनके उपयोग की कभी कोशिश नहीं करते, जब भी कुछ नया करने का विचार आया तुरंत एक नयी संस्था खडी कर दी ओर उसे हमारे अमूल्य संसाधन आवंटित कर दिये, किन्तु उनके कार्यों का धरातल पर वास्तविक मूल्यांकन करने की कोशिश पिछले 70 वर्षों में कभी नहीं देखी गई ।
सर ग्रामीण बैंकों का गठन जिस पवित्र धारणा से किया गया था उस धारणा के अनुरुप उन्हें कार्य करने की स्वतंत्रता, साधनों का आवंटन, न्यूनतम मानव संसाधनों की पूर्ति, तथा विधि सम्मत वेतनमान उन्हें कभी नही दिया गया, उनके कार्यों का कभी निष्पक्ष मूल्यांकन नही किया गया, यही नही इन संस्थाओं में राष्ट्र विकास के लिये समर्पित होकर कार्य करने वाले कार्मिकों, तथा उनके सामने आ रही चुनौतियों\बाधाओं को दूर करने के लिये लिये न्यूनतम मूलभूत सुविधाओं का भी कभी ध्यान नहीं दिया गया । जहां एक ओर अन्य सरकारी विभागों के कार्मिकों को ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति के एवज में अतिरिक्त मानदेय एवं सुविधाएं मिलती हैं, तथा अवधि पुर्ण होने पर इच्छित स्थान पर नियुक्ति दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर बैंकिंग के क्षेत्र में ग्रामीणबैंक कर्मियों को दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है, और प्रायोजक बैंक उनके स्वयं के कार्मिकों को दिये जाने वाले वेतन-भत्ते उनके द्वारा प्रायोजित ग्रामीण बैंक कर्मियों को भूल कर भी नहीं देना चाहते । ग्रामीण बैंकों के कार्मिकों को प्रायोजक बैंकों के समान वेतन देने का NIT AWARD(राष्ट्रीय औधोगिक न्यायाधीकरण का निर्णय) भी माननीय पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर द्वारा लागू करवाया गया जबकि RRB Act लाने वाली कांग्रेस सरकारों ने तो इन संस्थानों को पैदाकर बेमोत मरने के लिये छोड दिया था और यही कारण है कि पिछली सरकारों द्वारा प्रतिवर्ष हजारोंकरोड रुपये ग्रामीण विकास तथा गरीबीउन्मूलन पर खर्च करने के बावजूद आजतक सही मायनों में ग्रामीण भारत का विकास नहीं हो पाया । माननीय नरेंद्रभाई, आपको यह जान कर शायद आश्चर्य होगा कि भारत के दूर्गम इलाकों के गरीब ग्रामीण भाईयों की सेवा में अपनी पूरी जवानी खपा देने वाले ग्रामीण बैंक कर्मी को सेवानिवृत्ति उपरांत अपने लिये रोटी कपडे की मूल आवश्यकता को पूरा करने लायक पेंशन भी नहीं दी जाती हैं, और भारत का न्ययालय जो एक आतंकवादी के मानवाधिकार के लिये रात्रि के दो बजे अपने दरवाजे खुले रखता है, वही न्यायालय ग्रामीण बैंककर्मियों की पेंशन का वाद निपटाने के लिए तारीख पर तारीख देकर साल दर साल लटकाए रखता है । मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको मे नये कार्मिकों की भर्ती पर NABARD द्वारा वर्ष 1990 से 2012 तक रोक लगाकर रखी गई, इसके फलस्वरूप अब हालत यह है कि इन बैंकों के पूराने कार्मिक अधिवर्षिता प्राप्त कर सेवानिवृत्त हो रहे हैं , वहीं दूसरी ओर नये लियेजाने वाले कार्मिक अल्पवेतनभत्तों, कार्य की अधिकता,तथा सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण बैंकों को छोड कर जा रहे हैं, ऐसे में स्टाफ रिटेंशन बहुत कम हो गया है, तथा बार-बार की भर्ती प्रक्रियाओं में लागत-समय-श्रम काफी व्यर्थ हो रहा है । इन सभी प्रतिकूलताओं के बावजूद आज भारतराष्ट्र के अट्ठाईस राज्यों के 676 जिलों में करीब 22000 शाखाओं तथा 82000 कार्मिकों के साथ सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सेवाभाव, एवं पूर्ण समर्पण के साथ ग्रामीणभारत के विकास हेतु मनोयोग के साथ कार्य कर रहे हैं ।
सर उपरोक्त विवरण आपके त्वरित ध्यान में लाने हेतु दिया गया है, वर्तमान में हमारे समक्ष ग्रामीण भारत के विकास की चुनौतियों में कृषकों की आय में वृद्धि के साथ ग्रामीण युवाओं को रोजगार दिलाना, मूलभूत सुविधाओं(Basic Rural Infrastructure) का विकास, फसल उत्पादन, प्रसंस्करण भंडारण तथा विपणन की सुविधाएं ग्राम स्तर पर विकसित करने, भू-जल का समुचित उपयोग, गौ-वंश का संरक्षण एवं संवर्धन, तथा ग्रामीण उधोग-धंधो को विकसित करना आदि प्रमुख हैं । जैसा कि उपरोक्त विवरण में आया है, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मानव संसाधन की गंभीर कमी से गुजर रहे हैं, RRB’s में प्रति शाखा औसत कार्मिक की संख्या 2 से 3 के बीच है, शहरी युवा इन सेवाओं में नियुक्ति तो पा लेते हैं किन्तु पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में शिघ्र ही छोड जाते हैं । अतः ग्रामीण बैंकों के सुदृढीकरण में ही ग्रामीण भारत के विकास का राज भी छिपा हुआ है, ग्रामीण बैंकों का कार्य क्षेत्र केवल कृषकों व दस्तकारों को छोटे ऋण देने तक सीमित रखने के स्थान पर वृहद स्तर पर ग्रामीण Infrastructure का वित्तपोषण करने, इनके क्रियान्वयन पर निगरानी रखने , नवीन रोजगारों का सृजन करने, युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने तथा राज्य सहकारी बैंको, भूमिविकास बैंकों तथा अन्य ग्रामीण विकास एजेंसियों को वित्तपोषण एवं मोनिटरिंग का माध्यम बनाया जाना चाहिये । नरसिंहराव कमिटी के सुझाव अनुसार पर बैंकिंग के त्रिस्तरीय ढांचे के विकास हेतु ग्रामीण बैंकों को प्रायोजक बैंको से हटाकर “भारतीय राष्ट्रीय ग्रामीण बैंक NRBI” की तुरंत स्थापना की जानी चाहिये तथा NABARD के सभी Infrastructure Projects का वित्तपोषण NRBI के माध्यम से किया जाना चाहिये, प्रत्येक जिला स्तर पर NRBI के पास RBI का चेस्ट दिया जाना चाहिये, NRBI को वृहद स्तर पर ग्रामीण कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण केंद्र खोलने की अनुमति देने, सभी तरह की सरकारी राशियां, Treasury की रकम NRBI में रखने तथा सभी सरकारी कर्मचारियों के Salary Accounts NRBI में शिफ्ट किये जाने चाहिये जिससे NRBI के पास ग्रामीण वित्तपोषण हेतु पर्याप्त मात्रा में तरल निधियां CASA Deposits के रुप में उपलब्ध रहे । NRBI का कार्य क्षेत्र बढानें हेतु बडे स्तर पर ग्रामीण परिवेश के युवाओं की भर्ती की जानी चाहिये, जो ग्रामीण स्तर पर विभिन्न व्यावसायिक क्रियाकलापों का वित्तपोषण एवं निगरानी रख सकें ।
भारतीय कृषि के अलाभकारी होने का मुख्य कारण छोटी कृषिजोत होना, मानसून आधारित कृषि पर निर्भर रहना, यांत्रिक साधनों का अभाव तथा उत्पादन से लेकर विपणन तक विभिन्न स्तरों पर वैज्ञानिक Approach का अभाव तथा Allied Activities नहीं होना आदि हैं । बडे स्तर पर पूर्णतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कृषि तथा Economies of scale का लाभ लेने हेतु मेरा सुझाव है कि NRBI के माध्यम से प्रत्येक ग्राम स्तर पर ग्रामकृषकसंघ या ग्रामकृषक कंपनी का पंजीकृत गठन किया जाए जो बडे स्तर संपूर्ण ग्राम की कृषि भूमि पर एकीकृत रुप से कृषि-बाघवानी-पशुपालन, अनाज प्रसंस्करण, भंडारण, विपणन कार्यों को करे, तथा ग्रामीण युवाओं को इन कार्यों के लिये निपुण बनाकर नियोजित करे । इन ग्रामकृषकसंघों को बडे स्तर पर NRBI द्वारा वित्तपोषित किया जाए, तथा कृषकों को उनकी कृषिभूमि के अनुपात में आय का वितरण किया जाए , इससे Economies of scale के लाभ के रुप में बडे स्तर पर Inputs की खरीद, Bargaining ताकत में वृद्धि, Cash-Crops, Multiple-crops उगाने, प्रसंस्करण संयंत्र,Cold-Storage विकसित करने तथा सहायक गतिविधियों जैसे मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन, खरगोश-सुअर-भेड-बकरी पालन के मार्फत कृषकों की न केवल आय में वृद्धि अपितु उनके जीवन स्तर को भी उंचा उठाने में प्रभावी रुप से लाभकारी हो सकता है । इसके अतिरिक्त NRBI के रुप में सशक्त एवं एकीकृत ग्रामीणविकाससंस्थान मौजुद होने से अनेकानेक एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी, संसाधनों के अपव्यय, तथा प्रकियाओं के अनावश्यक दोहराव आदि Drawbacks से छुटकारा मिलने से सशक्त एवम समृद्ध ग्रामीण भारत का सपना साकार हो सकेगा । भारत सरकार द्वारा NABARD के मार्फत जारी विभिन्न योजनाओं तथा अनुदान का लाभ इन कृषक संघों को दिया जाये जिससे समग्र ग्रामवासी अनुपातिक रुप से आय में वृद्धि के रुप में लाभान्वित हो सकें।
चूंकि देश के हर राज्य में विशाल नेटवर्क तथा कुशल स्टाफ के साथ ग्रामीण बैंको की शाखायें मौजुद हैं, तथा इनका स्टाफ स्थानिय पारिस्थिकि तंत्र से पूर्णतया वाकिफ है, साथही इस पर सरकार को सुदृढीकरण के अतिरिक्त अन्य अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता नहीं है, अतः कृषकों की आय दुगुनी करने का विशाल लक्ष्य इन संस्थाओं के माध्यम से प्रभावी तरीके निर्धारित समयावधि में हासिल किया जा सकता है । ग्रामीण विकास की सभी एजेंसीज यथा कृषिविभाग, पशुपालन विभाग, वन विभाग, ग्रामीणविकास विभाग आदि अपने कार्यकृमों को NRBI के मार्फत वित्तपोषित करवा सकते हैं , इसके लिये NRBI में प्रतिशाखा 7 से 10 कुशल अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिये, इससे ग्रामीण विकास के बाइप्रोडक्ट के रुप युवाओं को पर्याप्त रोजगार के साथ ही शहरी जनसंख्या दबाव को कम करने तथा संसाधनों के बुद्धिमत्तापूर्ण विनियोजन में भी सफलता मिलेगी ।
भवदीय
आर.एन. व्यास,
प्लॉट-63, सेक्टर-6,
हिरनमगरी,उदयपुर.
मो. +91 7073454567
ABOUT THE AUTHOR
Ram Narayan s/o Valji Bhai Vyas, born on 10-09-1965, at Village –Chikla, Bost-Bhudar, Tehsil- Rishabhdeo, Distt-Udaipur,Rajasthan. Did his primary schooling from primary school of village Chikla & Upper primary School of village Bhudar, he always ranked top in both the village schools.
Then he was shifted to Mumbai for higher studies, where he passed his SSC Exams with 2nd ranking in the “Seth D.M.High School-Borivali” in March-1982.
But he again shifted to his village Chikla for certain family issues, and passed his Higher Secondary Exam from Senior Secondary School-Rishabhdeo.
He did his BSc with Mathematics,Chemistry & Geology from university college of Science, Udaipur with Top ranking in his Batch, and did MSc in Geology from Department of Geology, M.L.Sukhadiya University, Udaipur. He appeared for M.Sc.(Tech.) Exam in Applie Geology, from the Department of Geology, M.L.Sukhadiya University Udaipur where he topped the All Rajasthan Ranking in 1989, and received Gold Medal from the University, through Mr M. Chenna Reddy honorable Governor of Rajasthan Government.
He appeared for BSRB exams conducted for selection of officers in RRB’s during his M.Sc. studies and got selected as P.O. in Marwar Gramin Bank and Joined on 05-09-1989 and choose to serve for rural population. He held various positions in the Rural Bank which is presently known as RMGB-Rajasthan after undergoing various amalgamations from time to time .
He became associate of the Indian Institute of Bankers by clearing JAIIB & CAIIB, with distinction in Laws & Practices of Banking.
Currently he is working as Chief Manager in Pindwara branch of RMGB, which is sponsored by the State Bank of India.